स्वामी श्री मुनीशानन्द जी सरस्वती का जीवन चरित्र | Swami Shri Munishanand Ji Ka Jivan Parichay
संक्षित जीवन चरित्र
* परम पूज्य गुरुदेव ब्रह्मालोन अनन्त श्री विभूषित श्री स्वामी हीरानन्द सरस्वतीजी महाराज के कर कमलों में सादर समपित ** त्वदीयं वस्तु गुरुदेव तुभ्यमेत्र समर्पये *
श्रद्धा सहित प्रकाशित करता हूँ,
कर कमलों में यह सानन्द,
कर स्वोकार अनुग्रह कोजे,
श्री गुरुदेवजी हीरानन्द ||*
नित्य प्रार्थना
हे पुरुष परमात्मा,पावन हो पापात्मा,
विश्व बने धर्मात्मा,
हम सब तेरी बात्मा ||
* नित्य-प्रार्थना *
* हे वरण परमात्मा,पावन हो पापात्मा,
विश्व बने धर्मात्मा,
हम सब तेरी आत्मा *
*नित्य प्रार्थना *
* हे पुरुष परब्रह्म,पावन होँ पापात्मा,
विश्व बनें धर्मता,
हम सब तेरी प्राप्तमा *
जीवन का सार (श्री स्वामी मुनिशानंद जी सरस्वती)
* मुनो-सुनो श्रो दुनियां वालों,गुरु देव की अमर कहानी,
मुनो-सुनो श्रो दुनियां वालों,
गुरु देव की अमर कहानी ||
* है धन्य सुहागिन वह माता,
भारत को मुनीशानन्द दिया,
उत्तर प्रदेश के पैराई गांव में,
चांदी का एक चाँद दिया ||
* है धन्य वसुन्धरा जहाँ कि,
ऐसा तपोनिष्ठ एक लाल दिया,
ज्ञान, योग, वैराग्य साधना से,
जन मन पूर्ण निहाल किया ||
* जिनकी फैल रही घर-घर में,
ज्ञान सूर्य की किरण सुहानी,
सुनो-सुनो श्रो दुनियां वालों,
गुरुदेव की अमर कहानी ||
* कार्तिक बदी अमावस को,
मुनीशानन्द ने जन्म लिया,
'दीपावली के सुअवसर पर,
जगमगाता दीप दिया ||
* है धन्य पैराई गांव,
मुनीशानन्द जहां अवतार लिया,
भूले भटके टके जीवों में,
कितनों का उद्धार किया ||
* दिल में बस जाती है परबस,
गुरुदेव की अमृत वाणी,
सुना सुनो यो दुनियां वालों,
गुरुदेव की अमर कहानी ||
* इनके पूज्य पिता वकील थे,
वकालात को छोड़ा था,
मिथ्या यह संसार है सारा,
पिता ने ज्ञान कराया था ||
* है धन्य पिता माता,
भारत को सच्चिदानन्द दिया,
नगर-नगर घर-घर में जाकर,
जन-जन का कल्याण किया ||
* जिनकी विश्व शान्ति के हेतु,
वेद निकेतन अमिट निशानी,
सुनो सुनो श्रो दुनियां वालों,
गुरुदेव की अमर कहानी ||
* चढ़ी जवानी में इनको,
स्वामी हीरानन्द जी का साथ हुआ,
हुई कृपा गुरु की इन पर,
सारा घरबार भी छोड़ दिया ||
* वे धन्य ऋषिकेश गंगा माता को,
ऐसा तपस्वी रत्न मिला,
सन्मार्गी को शान्ति मिले,
वेद निकेतन का निर्माण किया ||
* शान्ति पुञ्ज है वेद निकेतन,
बहत जहां गंगा का पानी,
सुनो सुनो ओ दुनियां वालों,
गुरुदेव की अमर कहानी ||
* एक बार की बात सुनो,
जब इन्होने गीता पाठ किया,
"ये हि संस्पर्शन्जा भोगा दुःख योनय एवते",
पर विचार किया ||
* सारे भोगों को ठोकर मारकर,
पूर्ण रूपेण सन्यास लिया,
बहिरंग त्याग कर अंतर्मुख में,
मन को अपना मोड़ लिया ||
* अटूट साधना जप तप से,
जीवन की राह बनी कल्याणी,
सुनो-सुनो श्रो दुनियां वालों,
गुरुदेव की अमर कहानी ||
* एक सुपात्र पुत्र छोडा,
और पतिवता नारी भी,
कुटुम्ब कबीला सब छोड़ा,
और छोड़ी सम्पत्ति सारी भी ||
* हिमालय की तपोभूमि में,
बारह साल बनवास किया,
गंगा तट पर्वत गुफा में,
तपसी बन के निवास किया ||
* गुरु कृपा से सत्यशील बन,
योगमयी ब्रह्म-विद्या जानी,
सुनो सुनो श्रो दुनियां वालों,
गुरुदेव को अमर कहानी ||
* की कृपा जोधपुर की जनता पर,
सारा गीता ज्ञान दिया,
और सोये पड़े थे गफलत में,
उनको भी जाकर जगा दिया ||
* दो महीनों के प्रवचन से,
जोधपुर का भी उद्धार किया,
भव सिन्धु में पड़े जनों को,
ज्ञान देकर बेड़ा पार किया ||
* योगीराज मुनीशान्द गुरु हैं,
ब्रह्म तत्त्व के पूरण ज्ञानी,
सुनो सुनो यो दुनियां वालो,
गुरुदेव की अमर कहानी ||
* वेदों में है बड़ा तत्त्व ये,
गीता रुपी ज्ञानी हैं ये,
रामायण के राम रूप और,
विष्णु का अवतार हैं ये ||
* कहे 'हरि व्यास' सुनौ सब भाई,
भाग्य तुम्हारा जगा दिया,
मनीशानन्द जैसा सदगुरु,
हम सब ने भी पाये लिया ||
* सद्गुरुदेव मुनीशानन्द की महिमा,
थोड़े में हैं बरवानी,
सुनो सुनो यो दुनिया वालों,
गुरुदेव की अमर कहानी ||
रचयिता
श्री हरी प्रकाश "व्यास" जोधपुर
श्री भगवती प्रसाद गुप्त, महमूदाबाद जनपद सीतापुर के सहयोग से प्रकाशित ||