श्री कुंडलिनी स्तोत्र | Shri Kundalini Stotram
Shri Kundalini Stotram Lyrics
श्री कुंडलिनी स्तोत्र एक अत्यंत शक्तिशाली वैदिक स्तोत्र है, जो हमारी आंतरिक चेतना को जागृत करने और आत्मशक्ति को सक्रिय करने के लिए गाया जाता है। यह स्तोत्र देवी कुंडलिनी की स्तुति है जो मूलाधार चक्र में स्थित सुप्त शक्ति के रूप में मानी जाती हैं। नियमित पाठ से आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति और ऊर्जा जागरण संभव होता है।Kundalini Stotram pdf
श्री कुंडलिनी स्तोत्र
* ॐ नमस्ते देव देवेशि योगीश प्राणवल्लभे,
सिद्धिदे वरदे मातः स्वयंभुलिंग वेष्टिते ||१||
* ॐ प्रसुप्त भुजगाकारे सर्वदा कारणप्रिये,
कामकलान्विते देवि ममाभीष्टं कुरुष्व च ||२||
* असारे घोर संसारे भवरोगात् कुलेश्वरी,
सर्वदा रक्ष मां देवि जन्म संसार सागरात् ||३||
* इति कुण्ठलिनि स्तोत्रं ध्यात्वा यः प्रपठेत् सुधीः,
मुच्यते सर्व पापेभ्यो भव संसार रूपके ||४||
|| इति प्राणतोषिणी तन्त्रे कुण्डलिनी स्तोत्रं सम्पूर्णम् ||