श्री बगलामुखी चालीसा लिरिक्स | Shri Baglamukhi Chalisa Lyrics
Shri Baglamukhi Chalisa Lyrics In Hindi
श्री बगलामुखी माता तंत्र साधना की दस महाविद्याओं में आठवीं देवी हैं। इनकी पूजा से शत्रुओं का नाश, वाणी और बुद्धि पर नियंत्रण, और विजय प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। नीचे दी गई है श्री बगलामुखी चालीसा लिरिक्स | Shri Baglamukhi Chalisa Lyrics में, ताकि आप घर पर बैठकर माता का पाठ कर सकें।श्री बगलामुखी चालीसा – सम्पूर्ण लिरिक्स हिंदी में
दोहा
नमो महाविद्या बरद,
बगलामुखी दयाल,
स्तम्भन क्षण में करे,
सुमिरत अरिकुल काल ||
चौपाई
* नमो नमो पीताम्बरा भवानी,
बगलामुखी नमो कल्याणी ||१||
* भक्त वत्सला शत्रु नशानी,
नमो महा विद्या वरदानी ||२||
* अमृत सागर बीच तुम्हारा,
रत्न जडित मणि मंडित प्यारा ||३||
* स्वर्ण सिंहासन पर आसीना,
पीताम्बर अति दिव्य नवीना ||४||
* स्वर्णाभूषण सुन्दर धारे,
सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे ||५||
* तीन नेत्र दो भुजा मृणाला,
धारे मुगदर पाश कराला ||६||
* भैरव करें सदा सेवकाई,
सिद्ध काम सब विघ्न नसाई ||७||
* तुम हताश का निपट सहारा,
करे अकिंचन अरिकल धारा ||८||
* तुम काली तारा भुवनेशी,
त्रिपुर सुंदरी भैरवि वेशी ||९||
* छिन्नभाल धूमा मातंगी,
गायत्री तुम बागला रंगी ||१०||
* सकल शक्तियाँ तुम में साजें,
हीं बीज के बीच बिराजे ||११||
* दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन,
मारण वशीकरण सम्मोहन ||१२||
* दुष्टोच्चाटन कारक माता,
अरि जिभ्या कीलक संघाता ||१३||
* साधक के विपति की त्राता,
नमो महामाया प्रख्याता ||१४||
* मुद्गर शिला लिए अति भारी,
प्रेतासन पर किए सवारी ||१५||
* तीन लोक दस दिशा भवानी,
बिचरहु तुम जन हित कल्याणी ||१६||
* अरि अरिष्ट सोचे जो जन को,
बुद्धि नाश कर कीलक तन को ||१७||
* हाथ पाँव बाँधहुँ तुम ताके,
हनुहू जीभ बिच मुदगर बाके ||१८||
* चोरों का जब संकट आवे,
रण में रिपुओं से घिर जावे ||१९||
* अनल अनिल विप्लव घहरावे,
वाद-विवाद न निर्णय पावे ||२०||
* मूठ आदि अभिचारन संकट,
राजभीती आपत्ति सन्नीकट ||२१||
* ध्यान करत सब कष्ट नसावे,
भूत प्रेत न बाधा आवे ||२२||
* सुमिरत राजद्वार बंध जावे,
सभा बीच स्तम्भन छावे ||२३||
* नाग सर्प बृश्चिकादि भयंकर,
खल विहंग भागहि सब सत्वर ||२४||
* सर्व रोग की नाशन हारी,
अरीकुल मुलोच्चाटन कारी ||२५||
* स्त्री पुरुष राज सम्मोहक,
नमो नमो पीताम्बर सोहक ||२६||
* तुमको सदा कुबेर मनावें,
श्री समृद्धि सुयश नित पावें ||२७||
* शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता,
दुःख दारिद्र विनाशक माता ||२८||
* यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता,
शत्रु नाशिनी विजय प्रादाता ||२९||
* पीताम्बरा नमो कल्यानी,
नमो मातु बगला महरानी ||३०||
* जो तुमको सुमरे चितलाई,
योग क्षेम से करो सहाई ||३१||
* आपत्ति जन की तुरत निवारो,
आधि व्याधि संकट सब टारो ||३२||
* पूजा विधि नहिं जानत थोरी,
अर्थ न आखर करहूँ निहोरी ||३३||
* मैं कुपुत्र अति निवल उपाया,
हाथ जोड़ शरणागत आया ||३४||
* जग में केवल तुम्हीं सहारा,
सारे संकट करहुँ निवारा ||३५||
* नमो महादेवी हे माता,
पीताम्बरा नमो सुखदाता ||३६||
* सौम्य रूप घर बनती माता,
पीताम्बर नमो सुखदाता ||३७||
* रौद्र रूप धर शत्रु संहारो,
अरि जिव्हा में मुद्गर मारो ||३८||
* नमो महाविद्या आगारा,
आदि शक्ति सुन्दरी आपारा ||३९||
* अरि भंजक विपति की त्राता,
दया करो पीताम्बरि माता ||४०||
दोहा
* रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं,
अरि समूल कुल काल,
मेरी सब बाधा हरो,
माँ बगुले तत्काल ||
इति श्री बगलामुखी चालीसा सम्पूर्ण ||