पूज्य संतो के अनमोल वचन | Poojya Santo Ke Vachan
पूज्य सन्तों की पावन वाणी के प्रसाद रूप
पूज्य संतो के वचन केवल शब्द नहीं होते, बल्कि यह जीवन को दिशा देने वाली अमूल्य शिक्षाएँ होती हैं। इन वचनों में जीवन की सच्चाई, आध्यात्मिक ऊर्जा और मन की शांति छिपी होती है। इस लेख में हम आपके लिए कुछ ऐसे अनमोल वचन लेकर आए हैं, जो संतों ने अपने अनुभवों के आधार पर कहे हैं और जो आज भी हमारे जीवन में प्रकाश की तरह मार्गदर्शक बन सकते हैं।★ अनमोल बोल-नव रत्न ★
१- पूज्यपाद ब्रह्मलीन श्री एकरसानन्द सरस्वतीजी महाराज★ अखंड पुरुषार्थ करो गंगा प्रवाहवत् आलसी मत बनो ।
२- पूज्यपाद ब्रह्मलीन श्री हीरानन्द सरस्वतीजी महाराज
★ आसक्ति के त्याग और सत्य के ग्रहण में ही अत्मोन्नति है।
३- पूज्यपाद ब्रह्मलीन श्री विद्यानन्दजी सरस्वती (भोले बाबा) है
★ श्रेष्ठ से भी श्रेष्ठ तू पर चाह करके भ्रष्ट है।
४ - पूज्यपाद महामण्डलेश्वर श्री शुकदेवानन्द सरस्वतीजी महाराज परमार्थ निकेतन-ऋषिकेश (हिमालय)
★ दैवी सम्पदाओं के गुणों का ग्रहण तथा आसुरी सम्पदाओं के त्याग से ही चरित्र सुधार व रामराज्य का निर्माण होगा ।
५ - पूज्यपाद श्री पथिकजी महाराज लखनऊ
★ सुखासक्ति के कारण ही समस्त दोषों का जन्म होता है।
६ - पूज्यपाद श्री अखंडानन्द सरस्वतीजी महाराज बम्बई ।
★ निन्दा की परवाह न करना बहादुरी हो सकती है, परन्तु स्तुति का मीठा जहर पचा लेना उससे भी बडी बहादुरी है।
७- पूज्यपाद श्री शंकर देव मुनिपरमहंसजी महाराज (जग्बीता)
★ जब मानव हृदय की सभी कामनायें समाप्त हो जाती हैं तब वह मर्त्य धर्मा प्राणी भ्रमर बन जाता है।
5 - पूज्यपाद श्री शान्तानन्दजी महाराज उदासीनाश्रम पुस्कर ।
★ शंकर भगवान के सदृश मस्तक में शान्ति रूपी चन्द्रमा धारण करो तभी सुख शान्ति मिलेगी ।
१- पूज्यपाद संत श्री सच्चे बाबाजी महाराज प्रयागराज ।
★ अपने आपको वस्तुतः पूर्णतः तथा यथार्थतः जानना ही अध्यात्म है।