द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र | Dwadash Jyotirling Stotra
Dwadash Jyotirling Stotra Lyrics In Hindi
हिंदू धर्म में द्वादश ज्योतिर्लिंग का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यह भगवान शिव के 12 दिव्य ज्योतिर्लिंगों की महिमा का वर्णन करता है। इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से भगवान् शिव कृपा की प्राप्त होती है, समस्त पाप नष्ट होते हैं और जीवन में शांति तथा समृद्धि आती है।द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र अर्थ सहित | द्वादशज्योतिर्लिङ्गानि
* सौराष्ट्र सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्,उज्जयिन्यां महाकालमोङ्कारममलेश्वरम् ||1||
* परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्,
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ||2||
* वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे,
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये ||3||
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः,
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ||4||
भावार्थ-
१- सौराष्ट्रप्रदेश (काठियावाड़) में श्रीसोमनाथ,
२- श्रीशैल पर श्रीमल्लिकार्जुन,
३- उज्जयिनी (उज्जैन) में श्रीमहाकाल,
४- ॐकारेश्वर अथवा अमलेश्वर,
५- परली में वैद्यनाथ,
६- डाकिनी नामक स्थान में,
७- श्रीभीमशंकर,
८- सेतुबन्ध पर श्रीरामेश्वर,
९- दारुकावन में श्रीनागेश्वर,
१०- वाराणसी (काशी) में श्रीविश्वनाथ,
११- गौतमी (गोदावरी) के तट पर श्रीत्र्यम्बकेश्वर,
१२- हिमालय पर केदारखण्ड में श्रीकेदारनाथ और
शिवालय में श्रीघुश्मेश्वर को स्मरण करें।
जो मनुष्य प्रतिदिन प्रातःकाल और सन्ध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है,
उसके सात जन्मों का किया हुआ पाप इन लिंगों के स्मरणमात्र से मिट जाता है ||
* द्वादश ज्योतिर्लिंग का क्या अर्थ है?
द्वादश ज्योतिर्लिंग का अर्थ है भगवान शिव के बारह दिव्य और स्वयं प्रकट हुए प्रकाश स्वरूप लिंग। ये वे पवित्र स्थान हैं जहां भगवान शिव ने स्वयं ज्योति रूप में प्रकट होकर भक्तों को दर्शन दिए। इनका उल्लेख शिव पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।* 12 ज्योतिर्लिंग का मंत्र क्या है?
इस लेख में वर्णित पोस्ट भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का वर्णन करता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से शिव कृपा प्राप्त होती है, जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और मोक्ष का मार्ग खुलता है।* सबसे पावरफुल ज्योतिर्लिंग कौन सा है?
सभी 12 ज्योतिर्लिंग शक्तिशाली और दिव्य हैं, लेकिन यदि सबसे पावरफुल ज्योतिर्लिंग की बात करें, तो "महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग" को सबसे अधिक शक्ति वाला माना जाता है।* सबसे पहले किस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करें?
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहला (आदि ज्योतिर्लिंग) माना जाता है। यह गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है।इस ज्योतिर्लिंग की महिमा शिव पुराण, स्कंद पुराण और महाभारत में मिलती है।* द्वादश ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई थी?
द्वादश ज्योतिर्लिंगों की उत्पत्ति भगवान शिव के दिव्य प्रकाश (ज्योति) स्वरूप से हुई थी। इनकी स्थापना के पीछे अलग-अलग पौराणिक कथाएँ हैं, लेकिन सबसे प्रमुख कथा शिव महापुराण में वर्णित है।एक बार भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच यह विवाद हुआ कि दोनों में कौन श्रेष्ठ है। दोनों ने अपनी शक्ति और महानता का वर्णन किया, लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका।
इसी समय, अचानक एक दिव्य तेज (प्रकाश) का अद्भुत स्तंभ प्रकट हुआ। यह अनंत और असीमित था, इसका कोई आदि या अंत नहीं दिख रहा था।
ब्रह्मा और विष्णु ने इस ज्योतिर्लिंग के छोर को खोजने का प्रयास किया। भगवान विष्णु ने वराह (सूअर) का रूप धारण करके इसकी गहराई की खोज की।
भगवान ब्रह्मा हंस का रूप लेकर आकाश में ऊँचाई तक पहुंचे। दोनों ही इस ज्योतिर्लिंग का आदि और अंत नहीं खोज सके। अंततः भगवान शिव प्रकट हुए और कहा –
"मैं ही इस अनंत प्रकाश स्तंभ (ज्योतिर्लिंग) का सृजनकर्ता हूँ। यह सृष्टि में सर्वशक्तिमान और अविनाशी है।"