श्री संवत 2025-26 का पंचांग | Shri Samvat 2025-26 Ka Panchang

Shri Samvat 2082(2025-26) Ka Panchang In Hindi

श्रीमंगलमूर्तयेनमः
काशीशं गणनायक सुरगुरु देवी तथा श्रीपतिम,
स्तुत्वावायुसुतं सभक्ति मनसा ध्यात्वा च नत्वा गुरुम्,
स्वगीयं पितरं नमामि विवध श्रीजीवनाथ हितम्,
नित्यं लोकहिताय यस्य कृपया पञ्चाङ्गमातन्यते ||

सतयुग का मान - १७,२८००० वर्षाणि,
त्रेतायुग का मान - १२,९६,००० वर्षाणि,
द्वापरयुग का मान - ८,६४,००० वर्षाणि,
कलियुग का मान - ४,३२,००० वर्षाणि ||


Shri Samvat 2025-26 Ka Panchang

इस वर्ष कल्पारम्भ से १९५५८८५१२६ वर्ष कलियुग के आरम्भ काल से ५१२६ वर्ष, श्रीविक्रमादित्य के सिंहासनरोहन काल से २०६२ वर्ष एवं शकारम्भ से १९४७ वर्ष ब्यतीत हुए हुए। ३५५= ७१४४८४१६५०३५ + चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ३० मार्च रविवार को सूर्य सिद्धान्तीय अहर्गण ३५५ = ७१४४८४१६५३९० एवं ग्रहलाघवीय अहर्गण ३७२९ तथा गत चक्र ४५ तदुपरि ४६ है। वर्षारम्भ से कालयुक्त नामक संवत्सर चलेगा, जो संकल्पादि में वर्षभर प्रयोग किया जायेगा अगले संवत्सर में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से सिद्धार्थ नामक संवत्सर का प्रयोग प्रारम्भ होगा। 

५२वाँ 'कालयुक्त' संवत्सर

* प्रजानां जायते रोगः कालयुक्ते विशेषतः,
राजयुद्धं भवेद घोरं प्रजानाशो वरानने ||

शिवजी कहते हैं कि हे वरानने ! कालयुक्त संवत्सर में जनता को रोग, राजाओं में भयंकर युद्ध तथा प्रजा का नाश होगा।

५३वां 'सिद्धार्थ' संवत्सर

* तोयपूर्णो भवेन्मेघो बहुसस्या वसुन्धरा,
सुखिनः पार्थिवाः सर्वे सिद्धार्थे श्रृणु सुन्दरी ||

शिवजी पार्वती जी से कहते हैं कि सिद्धार्थ संवत्सर में मेघ जल से पूर्ण रहेंगे, पृथ्वी सस्ययुक्त रहेगी। अन्न का उत्पादन अधिक होगा। इस संवत्सर में राजा लोग सुखी रहेंगे।

ग्रह सभासद विचार

*चैत्रादिमेषादिकुलीरतौली,
मृगादिवाराधिपतिक्रमेण,
राजा च मन्त्री ह्यथ सस्यनाथो,
रसाधिपो नीरसनायकश्च,
आर्द्रादिनाथो घननायकश्च,
धान्याधिपश्चापदिनादिवारः ||

राजा सूर्य फलम्

* सूर्ये नृपे स्वल्पजलाश्च मेघा स्वल्पं धान्यमल्पफलाश्चवृक्षाः,
स्वल्पं पयो गोषु जनेषु पीडा चौराग्निबाधा निधनं नृपाणाम् ||

इस सवत्सर में राजा का पद सूर्यदेव को मिला है जिसके फल में अल्प वर्षा होगी, अन्न तथा फल का उत्पादन कम, गायें अल्प दूध देने वाली, जनता को पीड़ा, चोर तथा अग्नि का भय तथा राजाओं (शासक वर्ग) का मरण होगा।

मंत्री सूर्य फलम्

* नृपभयं गदतोऽपि हि तस्करात्प्रचुरधान्यधनानिमहीतले,
रसचयं हि समर्घतमं तदा रविरमात्यपदं हि समागतः ||

मन्त्री भी सूर्यदेव ही हैं जिसके फल में जनता को राजा, रोग तथा चोरों से भय, पृथ्वी पर प्रचुर अन्न का उत्पादन तथा रसपदार्थ सस्ते होंगे।

सस्येश बुध फलम्

* जलधरा जलराशिमुचो भृशं सुखसमृद्धियुतं द्रवम्,
द्विजगणः स्तुतिपाठकरः सदा प्रथमसस्यपतौ सति बाधने ||

बुध के सस्येश होने के फलस्वरूप मेघ अधिक वर्षा करने वाले, जनता सुख समृद्धि से युक्त, उपद्रव रहित, द्विज लोग शान्तिपूर्वक पूजा-पाठ करने में तत्पर रहेंगे।

दुर्गेश सूर्य फलम्

गाभमा नरराजपुरोगमाः विशेषकरणिस्ता,
समधिकेल तया नृपतोन्यतः पचिषु संज्ञजतां न भवं क्वचित् ||

यदि सूर्य दुर्गेश हो तो शासक लोग अधिक नीति सम्पन्न व्यवहार करने वाले राजा- बला निर्भय, शासन की सुष्यवरा के कारण पथिकों को कोई भय उत्पन्न नहीं होगा।

धनेश बुद्ध फलम्

* द्रविणयो हिमरश्मिसुतो यदा विविधसंग्रहवस्तुकला तदा,
द्विजवरा जपयज्ञसुसंयुताः कृषि विशेष विशेषित मानसाः ||

बुध ही धनेश भी है जिसके फल में लोग विविध वस्तुओं का संग्रह करेगें, विप्रवर्ग जप-यज्ञ में तल्लीन होगा तथा लोग (जनता) कृषि पर विशेष ध्यान देंगे।

रसेश शुक्र फत्वम्

* भृगुसुते रसनायकतां गते जनपदा जलतोषितमानसाः,
सुखसुभिक्षप्रमोदवती घरा धरणिया नरपालनतत्पराः ||

यदि रसेश शुक्र हो तो अच्छी वृष्टि से जनता प्रसन्न, सुख-समृद्धि सम्पन्न तथा शासक वर्ष, लोग जनता के पालन में तत्पर रहेंगे।

धान्येश मंगल फलम्

गोधूमसर्षपा मुदगतिलभाषप्रवालकाः,
महर्घ जायते घोरं भौमे धान्याधिपे सति ||

नीरसेश बुध फलम्

धान्येश मंगल के फल में गेहूँ, सरसों, मूँग, तिल, उड़द तथा मूँगा के भाव में महँगी होगी।

चित्रवस्त्रादिकं चैव शंखचन्दनपूर्वकम्,
अर्धवृद्धिः प्रजायेत नीरसेशो बुधो यदि ||

बुध ही नीरसेश भी हैं जिसके फल में चित्रवस्त्र, शंख तथा चन्दन का मूल्य महँगा होगा।

फलेश शनि फलम्

यदि शनि फलपः कलहो भवेज्जनित पुष्यगणास्तरवः सदा,
द्विजभयं नरतस्कररजं तदा जनपदा जनराशिसमाकुला ||

यदि शनि फलेश हो तो फल-पुष्प तथा वृक्षों के लिये लड़ाई-झगड़े, मनुष्यों तथा चोरों
से द्विजाति को कष्ट, जनपदों में जनसमूह व्याकुल रहेगा।

मेघेश सूर्व फलम्

रवौ मेघाधिपे जाते स्वल्पतोयप्रदा घनाः,
स्वल्पं धान्यं भवेल्लोके, वी भयं च भूतले सदा ||

सूर्य के मेघेश होने के फलस्वरूप मेघ अल्प वर्षा करने वाले होंगे। अन्न का उत्पादन स्वल्प होगा तथा संसार में भय व्याप्त रहेगा।

रोहिणी वास फलम्

समुद्रे तु महावृष्टि। रोहिणी निवास समुद्र में होने से अधिक वर्षा के योग बन रहे हैं।

संवत्सर वास फलम्

* सर्व वस्तुसमर्घ स्यान्मालाकारगृहेऽब्दके ||

संवत्सर का निवास

माली के घर में होने से सभी वस्तुएँ सस्ती होगी हैं।

समय वाहन फलम्-गजारूढो,
वत्सरश्च सुभिक्षं च प्रजासुखम्,
वर्षाकाले सुवृष्टिश्व सुखिनः सर्वजन्तवः ||

इस वर्ष समय का वाहन हाथी होने से सुभिक्ष तथा जनता को सुख होगा। वर्षाऋतु में अच्छी वर्षा होगी। सभी जीव सुखी रहेंगे।

आर्द्रा नक्षत्र प्रवेश फलम्-

तिथि फलम्
द्वादश्यां शुभदः प्रोक्तं,
द्वादशी तिथि में आर्द्रा प्रवेश शुभदायक होगा।
वारफलम्-रौद्रऽके भानुवारे स्यातप्रवेशे पशुनाशनम्।
सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश रविवार को हो रहा है। जो पशुओं का नाश करने वाला होगा।

नक्षत्रफलम्

भरण्यामशुभं प्रोक्तं- भरणी नक्षत्र में सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश अशुभ होगा।

योगफलम्

सुकर्म नामयोगके यदीशभ रविव्रजेत,
तदा समस्त भूसुराः सुकर्म कर्तुयुद्यताः ||

सुकर्मा योग में आर्द्रा का प्रवेश होने से सम्पूर्ण ब्राह्मण लोग अच्छे कामों के करने में उद्यत रहेंगे।

बेलाफलम्-

मध्यं दिने स्वल्प फला च पृथ्वी ||

आर्द्रा नक्षत्र का प्रवेश मध्यान्ह काल में हो रहा है।
अतः इस वर्ष फलों का उत्पादन मध्यम अर्थात् सामान्य होगा।

नवमेधानां-

*स्वान्नीलः क्षिप्रं तु वर्षति
नील नामक मेघ में शीघ्र वर्षा का योग है।
चतुर्मेधानां-संवर्ती जलपूरितः-संवर्त नामक मेघ होने से जल से पूर्ण होने का योग है।

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