भगवती सीता स्तुति मंत्र अर्थ सहित | Bhagwat Sita Stuti Mantra Arth Sahit
Bhagwati Sita Stuti Mantra Arth Sahit In Hindi
भगवती सीता स्तुति माता सीता की महिमा का वर्णन करने वाला एक दिव्य स्तोत्र है। इस स्तुति का पाठ करने से साधक को सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति होती है। माता सीता को शक्ति, धैर्य और त्याग की प्रतीक माना जाता है। यदि आप जीवन में किसी भी कठिनाई का सामना कर रहे हैं, तो भगवती सीता स्तुति मंत्र का नित्य पाठ आपके लिए अत्यंत फलदायी होगा।भगवती सीता स्तुति मंत्र एवं अर्थ
सकलकुशलदात्रीं भक्तिमुक्तिप्रदात्रीं,त्रिभुवनजनयित्रीं दुष्टधीनाशयित्रीम् ||
जनकघरणिपुत्रीं दर्पिदर्पपहीं,
हरिहर विधिक नौमि सद्भक्त भर्नीम् ||
भावार्थ
*मैं उन भगवती सीता जी की स्तुति करता हूँ।* जो सर्वमङ्गलदायिनी हैं।
* यहाँ तक कि भक्ति और मुक्ति का भी दान करती हैं।
* जो त्रिभुवन की जननी है तथा दुर्बुद्धि का नाश करने वाली हैं।
* जो राजा जनक की यज्ञ भूमि से प्रकट हुई थी तथा जो अभिमानियों के गर्व को चूर्ण-विचूर्ण कर देने वाली हैं।
* ब्रह्मा-विष्णु-महेश की भी जननी हैं एवं श्रेष्ठ भक्तों का पोषण करने वाली हैं।
