श्री लड्डू गोपाल की आरती लिरिक्स | Shri Laddu Gopal Ki Aarti Lyrics
Shri Laddu Gopal Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi
श्री लड्डू गोपाल, भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप हैं। श्री लड्डू गोपाल जी की मूर्ति को घर में रखा जाता है और उनकी पूजा स्तुति एवम पुत्र रूप मे सेवा की जाती है। लड्डू गोपाल को घर में रखना शुभ माना जाता है। श्री बाल गोपाल (लड्डू गोपाल) जी की नियमित सेवा करने वाले परिवार के घर मे श्री लड्डू गोपाल जी की कृपा हमेशा बनी रहती है। विपत्तियों से हमेशा श्री लड्डू गोपाल जी रक्षा करते हैं।श्री लड्डू गोपाल से जुड़ी कुछ खास बातें;
*श्री लड्डू गोपाल की मूर्ति को घर में रखने से सुख-शांति रहती है।*श्री लड्डू गोपाल को रोज़ स्नान कराना चाहिए।
*श्री लड्डू गोपाल को रोज़ नए वस्त्र पहनाने चाहिए।
*श्री लड्डू गोपाल को रोज़ भोग लगाना चाहिए।
*श्री लड्डू गोपाल को रोज़ फूल चढ़ाने चाहिए।
*श्री लड्डू गोपाल के सामने रोज़ दीपक जलाना चाहिए।
*श्री लड्डू गोपाल को रोज़ आरती करनी चाहिए।
*श्री लड्डू गोपाल को खिलौने बहुत पसंद हैं।
*श्री लड्डू गोपाल को समय-समय पर बाहर घुमाना चाहिए।
*श्री लड्डू गोपाल की सुंदर मूर्ति का चयन करें। मूर्ति कहीं से भी टूटी न हो, नाक, नैन नक्श आदि सब अच्छे से बना हो। उनके लिए झूला, बिस्तर, मौसम के अनुसार कपड़े, मोर मुकुट, बांसुरी, मुकुट, माला आदि खरीद लें।
*श्री लड्डू गोपाल की मूर्ति बहुत बड़ी नहीं होनी चाहिए। आम तौर पर, अंगूठे के आकार की या 3 इंच तक की मूर्ति रखना शुभ माना जाता है। इससे ज़्यादा बड़ी मूर्ति रखने की सलाह नहीं दी जाती।
*मान्यता है कि घर में लड्डू गोपाल की मूर्ति रखने और उनकी सेवा करने से सुख-समृद्धि आती है।
*श्री लड्डू गोपाल की मूर्ति को उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में रखना सबसे शुभ माना जाता है।
*श्री लड्डू गोपाल की मूर्ति को चौकी पर पीले या लाल कपड़े पर रखना चाहिए।
*श्री लड्डू गोपाल को शहद, जल, दही, गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए।
*श्री लड्डू गोपाल को नियमित रूप से स्नान कराना चाहिए।
*श्री लड्डू गोपाल को दिन में तीन बार भोजन कराना चाहिए।
*श्री लड्डू गोपाल को तुलसी दल अर्पित करना चाहिए।
श्री लड्डू गोपाल की आरती
आरती बालकृष्ण की कीजे,अपना जनम सफल करि लीजे ||
श्री यशोदा का परम दुलारा,
बाबा की अखियन का तारा,
गोपिन के प्राणन का प्यारा,
इन पर प्राण निछावर कीजे,
आरती बालकृष्ण की कीजे ||
बलदाऊ का छोटा भैया,
कान्हा कहि कहि बोलत मैया,
परम मुदित मन लेत वलैया,
यह छबि नैनन में भरि लीजे,
आरती बालकृष्ण की कीजे ||
श्री राधावर सुघर कन्हैया,
ब्रज जन का नवनीत खवैया,
देखत ही मन नयन चुरैया,
अपना सरबस इनको दीजे,
आरती बालकृष्ण की कीजे ||
तोतरि बोलनि मधुर सुहावे,
सखन मधुर खेलत सुख पावे,
सोई सुकृति जो इनको ध्यावे,
अब इनको अपनो करि लीजे,
आरती बालकृष्ण की कीजे ||