श्री गायत्री चालीसा लिरिक्स | Shri Gayatri Chalisa Lyrics

Shri Gayatri Chalisa Lyrics In Hindi

श्री गायत्री चालीसा 40 पदों से मिलकर बनी है। इसमें गायत्री माता का वर्णन किया गया है। इनका वर्णन ऋगवेद में मिलता है। श्री गायत्री चालीसा के नियमित पाठ से भक्तों के समस्त दुख दूर होते हैं। इसका पाठ करने से जीवन में आ रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति के जीवन में भी आनंद बना रहता है। श्री गायत्री चालीसा के जाप से हम मॉं गायत्री को प्रसन्न कर सकते हैं। श्री गायत्री चालीसा लिरिक्स के जाप से हम कामना करते हैं कि मॉं गायत्री हमारा कल्याण करेंगी और हमारे सभी दुखों और दरिद्रता को दूर करेंगी। मॉं की स्तुति करते हुए हम उनके गुणों का भी इस चालीसा के जरिये गुणगान करते हैं। मॉं गायत्री को इस कलयुग में पापों का नाश करने वाली शक्ति के रुप में देखा जाता है। श्री गायत्री चालीसा के पाठ से भक्तों को सतगुणों की प्राप्ति भी होती है।


Gayatri Chalisa

Shri Gayatri Chalisa In Hindi

दोहा

ह्रीं, श्रीं क्लीं मेधा, प्रभा,
जीवन ज्योति प्रचंड,
शांति क्रांति, जागृति प्रगति,
रचना शक्ति अखंड ||

जगत जननि मंगल करनि,
गायत्री सुख धाम,
प्रणवों सावित्री,
स्वधा स्वाहा पूरन काम ||

चालीसा

भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी,
गायत्री निज कलिमल दहनी ||१||

अक्षर चौबीस परम पुनीता,
इनमें बसे शास्त्र श्रुति गीता ||२||

शाश्वत सतोगुणी सतरूपा,
सत्य सनातन सुधा अनूपा ||३||

हंसारूढ़ श्वेतांबर धारी,
स्वर्ण कांति शुचि गगन-बिहारी ||४||

पुस्तक, पुष्प, कमण्डलु, माला,
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ||५||

ध्यान धरत पुलकित हिय होई,
सुख उपजत दुख-दुरमति खोई ||६||

कामधेनु तुम सुर तरु छाया,
निराकार की अद्भुत माया ||७||

तुम्हारी शरण गहै जो कोई,
तरै सकल संकट सों सोई ||८||

सरस्वती लक्ष्मी तुम काली,
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ||९||

तुम्हारी महिमा पार न पावैं,
जो शारद शत मुख गुन गावैं ||१०||

चार वेद की मात पुनीता,
तुम ब्रह्माणी गौरी सीता ||११||

महामंत्र जितने जग माहीं,
कोउ गायत्री सम नाहीं ||१२||

सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै,
आलस पाप अविद्या नासै ||१३||

सृष्टि बीज जग जननि भवानी,
कालरात्रि वरदा कल्याणी ||१४||

ब्रह्मा विष्णु रुद्र सुर जेते,
तुम सों पावें सुरता तेते ||१५||

तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे,
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ||१६||

महिमा अपरम्पार तुम्हारी,
जय जय जय त्रिपदा भयहारी ||१७||

पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना,
तुम सम अधिक न जग में आना ||१८||

तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा,
तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेशा ||१९||

जानत तुमहिं तुमहिं ह्वैजाई,
पारस परसि कुधातु सुहाई ||२०||

तुम्हारी शक्ति दिपै सब ठाई,
माता तुम सब ठौर समाई ||२१||

ग्रह नक्षत्र ब्रह्मांड घनेरे,
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ||२२||

सकल सृष्टि की प्राण विधाता,
पालक, पोषक, नाशक, त्राता ||२३||

मातेश्वरी दया व्रत धारी,
तुम सन तरे पातकी भारी ||२४||

जा पर कृपा तुम्हारी होई,
तापर कृपा करें सब कोई ||२५||

मंद बुद्धि ते बुद्धि बल पावै,
रोगी रोग रहित हो जावैं ||२६||

दरिद मिटे, कटे सब पीरा,
नाशै दुख हरै भव भीरा ||२७||

गृह क्लेश चित चिंता भारी,
नासै गायत्री भय हारी ||२८||

संतति हीन सुसंतति पावें,
सुख संपत्ति युत मोत मनावें ||२९||

भूत पिशाच सबै भय खावें,
यम के दूत निकट नहिं आवें ||३०||

जो सधवा सुमिरे चित लाई,
अछत सुहाग सदा सुखदाई ||३१||

घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी,
विधवा रहें सत्यव्रत धारी ||३२||

जयति जयति जगदंब भवानी,
तुम सम ओर दयालु न दानी ||३३||

जो सतगुरु सों दीक्षा पावें,
सो साधन को सफल बनावें ||३४||

सुमिरन करें सुरूचि बड़ भागी,
लहै मनोरथ गृही विरागी ||३५||

अष्ट सिद्धि नवनिधि की दाता,
सब समर्थ गायत्री माता ||३६|

ऋषि, मुनि, यति, तपस्वी, योगी,
आरत, अर्थी, चिंतन, भोगी ||३७||

जो जो शरण तुम्हारी आवै,
सो सो मन वांछित फल पावेै ||३८||

बल, बुद्धि, विद्या, शील, स्वभाऊ,
धन, वैभव, यश, तेज, उछाऊ ||३९||

सकल बढ़े उपजें सुख नाना,
जे यह पाठ करै धरि ध्याना ||४०||

दोहा

यह चालीसा भक्ति युत,
पाठ करें जो कोय,
तापर कृपा प्रसन्नता,
गायत्री की होय ||

इति श्री गायत्री चालीसा सम्पूर्ण ||

अन्य देवों की चालीसा के लिए कृपया Click करे!
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url