श्री राम अमृतवाणी लिरिक्स | Shree Ram Amritvani Lyrics

Shree Ram Amritvani Lyrics

Ram Amritvani Lyrics In Hindi

रामामृत पद पावन वाणी,
राम नाम धुन सुधा सामानी |
पावन पाथ राम गन ग्राम
राम राम जप राम ही राम ||1||

परम सत्य परम विज्ञान
ज्योति स्वरूप राम भगवान |
परमानंद सर्वशक्तिमान
राम परम है राम महान ||2||

अमृत ​​वाणी नाम उच्चाहरान
राम राम सुख सिद्धिकारण |
अमृतवानी अमृत श्री नाम
राम राम मुद मंगल धाम ||3||

अमृतरूप राम-गुण गान
अमृत-कथन राम व्याख्यान |
अमृत-वचन राम की चर्चा
सुधा सम गीत राम की अर्चा ||4||

अमृत ​​मनन राम का जाप
राम राम प्रभु राम अलाप |
अमृत ​​चिंतन राम का ध्यान
राम शब्द में सूचि समाधन ||5||

अमृत ​​रसना वही कहवा
राम-राम जहां नाम सुहावे |
अमृत ​​कर्म नाम कमानी
राम-राम परम सुखदायी ||6||

अमृत ​​राम-नाम जो ही ध्यावे
अमृत पद सो ही जन पावे |
राम-नाम अमृत-रास सार
देता परम आनन्द अपार ||7||

राम-राम जप हे माणा
अमृत वाणी मान |
राम-नाम मे राम को
सदा विराजित जान ||8||

राम-नाम मद-मंगलकारी
विध्ण हरे सब पातक हारी |
राम नाम शुभ-शकुण महान
स्वस्ती शांति शिवकर कल्याण ||9||

राम-राम श्री राम-विचार
मानी उत्तम मंगलाचार |
राम-राम मन मुख से गाना
मानो मधुर मनोरथ पाना ||10||

राम-नाम जो जन मन लावे
उसमे शुभ सभी बस जावे |
जहां हो राम-नाम धुन-नाद
भागे वहा से विषम विषाद ||11||

राम-नाम मन-तप्त बुझावे
सुधा रस सीच शांति ले आवे |
राम-राम जपिये कर भाव
सुविधा सुविध बने बनाव ||12||

राम-नाम सिमरो सदा
अतिशय मंगल मूल |
विषम विकट संकट हरन
कारक सब अनुकूल ||13||

जपना राम-राम है सुकृत
राम-नाम है नाशक दुष्कृत |
सिमरे राम-राम ही जो जन
उसका हो शुचित्र तन-मन ||14||

जिसमे राम-नाम शुभ जागे
उस के पाप-ताप सब भागे |
मन से राम-नाम जो उच्चारे
उस के भागे भ्रम भय सारे ||15||

जिस मन बस जाए राम सुनाम
होवे वह जन पूर्णकाम |
चित में राम-राम जो सिमरे
निश्चय भव सागर से तारे ||16||

राम-सिमरन होव साहै
राम-सिमरन है सुखदायी |
राम सिमरन सब से ऊंचा
राम शक्ति सुख ज्ञान समूचा ||17||

राम-राम हे सिमर मन
राम-राम श्री राम |
राम-राम श्री राम-भज
राम-राम हरि-नाम ||18||

मात पिता बांधव सूत दारा
धन जन साजन सखा प्यारा |
अंत काल दे सके ना सहारा
राम-नाम तेरा तारण हारा ||19||

सिमरन राम-नाम है संगी
सखा स्नेही सुहिर्द शुभ अंगी |
यूग-यूग का है राम सहेला
राम-भगत नहीं रहे अकेला ||20||

निर्जन वन विपद हो घोर
निबर्ध निशा तम सब ओर |
जोत जब राम नाम की जागे
संकट सर्व सहज से भागे ||21||

बाधा बड़ी विषम जब आवे
वैर विरोध विघ्न बढ़ जावे |
राम नाम जपिये सुख दाता
सच्चा साथी जो हितकर त्राता ||22||

मन जब धैर्य को नहीं पावे
कुचिन्ता चित्त को चूर बनावे |
राम नाम जपे चिंता चूरक
चिंतामणि चित्त चिंतन पूरक ||23||

शोक सागर हो उमड़ा आता
अति दुःख में मन घबराता |
भजिये राम-राम बहु बार
जन का करता बेड़ा पार ||24||

करधी घरद्धि कठिनतर काल
कष्ट कठोर हो क्लेश कराल |
राम-राम जपिये प्रतिपाल
सुख दाता प्रभु दीनदयाल ||25||

घटना घोर घटे जिस बेर
दुर्जन दुखरदे लेवेँ घेर |
जपिये राम-नाम बिन देर
रखिये राम-राम शुभ टेर ||26||

राम-नाम हो सदा सहायक
राम-नाम सर्व सुखदायक |
राम-राम प्रभु राम की टेक
शरण शान्ति आश्रय है एक ||27||

पूँजी राम-नाम की पाइये
पाथेय साथ नाम ले जाइये |
नाशे जन्म मरण का खटका
रहे राम भक्त नहीं अटका ||28||

राम-राम श्री राम है
तीन लोक का नाथ |
परम-पुरुष पावन प्रभु
सदा का संगी साथ ||29||

यज्ञ तप ध्यान योग ही त्याग
वन कुटी वास अति वैराग |
राम-नाम बिना नीरस फोक
राम-राम जप तरिये लोक ||30||

राम-जाप सब संयम साधन
राम-जाप है कर्म आराधन |
राम-जाप है परम-अभ्यास
सिम्रो राम-नाम सुख-रास ||31||

राम-जाप कही ऊंची करनी
बाधा विघ्न बहु दुःख हरनी ||
राम-राम महा-मंत्र जपना
है सुव्रत नेम तप तपना ||32||

राम-जाप है सरल समाधि
हरे सब आधी व्याधि उपाधि |
रिद्धि-सिद्धि और नव-निधान
डाटा राम है सब सुख-खान ||33||

राम-राम चिन्तन सुविचार
राम-राम जप निश्चय धार |
राम-राम श्री राम-ध्याना
है परम-पद अमृत पाना ||34||

राम-राम श्री राम हरी
सहज पराम है योग |
राम-राम श्री राम जप
देता अमृत-भोग ||35||

नाम चिंतामणि रत्न अमोल
राम-नाम महिमा अनमोल |
अतुल प्रभाव अति-प्रताप
राम-नाम कहा तारक जाप ||36||

बीज अक्षर महा-शक्ति-कोष
राम-राम जप शुभ-संतोष |
राम-राम श्री राम-राम मंत्र
तंत्र बीज परात्पर यन्त्र ||37||

बीजाक्षर पद पद्मा प्रकाशे
राम-राम जप दोष विनाशे |
कुण्डलिनी बोधे सुष्मना खोले
राम मंत्र अमृत रस घोले ||38||

उपजे नाद सहज बहु-भांत
अजपा जाप भीतर हो शांत |
राम-राम पद शक्ति जगावे
राम-राम धुन जभी रमावे ||39||

राम-नाम जब जगे अभंग
चेतन-भाव जगे सुख संग |
ग्रंथि अविद्या टूटे भारी
राम-लीला की खिले फुलवारी ||40||

पतित-पावन परम-पाठ
राम-राम जप योग |
सफल सिद्धि कर साधना
राम-नाम अनुराग ||41||

तीन लोक का समझीये सार
राम-नाम सब ही सुखकार |
राम-नाम की बहुत बरदाई
वेद पुराण मुनि जन गाई ||42||

यति सती साधू संत सयाने
राम नाम निष्-दिन बखाने |
तापस योगी सिद्ध ऋषिवर
जाप्ते राम-नाम सब सुखकर ||43||

भावना भक्ति भरे भजनीक
भजते राम-नाम रमणीक |
भजते भक्त भाव-भरपूर
भ्रम-भय भेद-भाव से दूर ||44||

पूर्ण पंडित पुरुष-प्रधान
पावन-परम पाठ ही मान |
करते राम-राम जप-ध्यान
सुनते राम अनहद तान ||45||

इस में सुरति सुर रमाते
राम राम स्वर साध समाते ||
देव देवीगन दैव विधाता
राम-राम भजते गनत्राता ||46||

राम राम सुगुणी जन गाते
स्वर-संगीत से राम रिझाते |
कीर्तन-कथा करते विद्वान्
सार सरस संग साधनवान ||47||

मोहक मंत्र अति मधुर
राम-राम जप ध्यान |
होता तीनो लोक में
राम-नाम गन-गान ||48||

मिथ्या मन-कल्पित मत-जाल
मिथ्या है मोह-कुमद-बैताल |
मिथ्या मन-मुखिआ मनोराज
सच्चा है राम-राम जप काज ||49||

मिथ्या है वाद-विवाद विरोध
मिथ्या है वैर निंदा हाथ क्रोध|
मिथ्या द्रोह दुर्गुण दुःख कहाँ
राम-नाम जप सत्य निधान ||50||

सत्य-मूलक है रचना साड़ी
सर्व-सत्य प्रभु-राम पसारि |
बीज से तरु मक्करधी से तार
हुआ त्यों राम से जग विस्तार ||51||

विश्व-वृक्ष का राम है मूल
उस को तू प्राणी कभी न भूल |
सां-साँस से सीमार सुजान
राम-राम प्रभु-राम महान ||52||

लाया उत्पत्ति पालना-रूप
शक्ति-चेतना आनंद-स्वरुप |
आदि अन्त और मध्य है राम
अशरण-शरण है राम-विश्राम ||53||

राम-राम जप भाव से
मेरे अपने आप |
परम-पुरुष पालक-प्रभु
हर्ता पाप त्रिताप ||54||

राम-नाम बिना वृथा विहार
धन-धान्य सुख-भोग पसार |
वृथा है सब सम्पद सम्मान
होव तँ यथा रहित प्रान ||55||

नाम बिना सब नीरस स्वाद
ज्योँ हो स्वर बिना राग विषाद |
नाम बिना नहीं साजे सिंगार
राम-नाम है सब रस सार ||56||

जगत का जीवन जानो राम
जग की ज्योति जाज्वल्यमान |
राम-नाम बिना मोहिनी-माया
जीवन-हीं यथा तन-छाया ||57||

सूना समझीये सब संसार
जहां नहीं राम-नाम संचार |
सूना जानिये ज्ञान-विवेक
जिस में राम-नाम नहीं एक ||58||

सूने ग्रन्थ पंथ मत पोथे
बने जो राम-नाम बिन थोथी |
राम-नाम बिन वाद-विचार
भारी भ्रम का करे प्रचार ||59||

राम-नाम दीपक बिना
जान-मन में अंधेर|
रहे इस से हे मम-मन
नाम सुमाला फेर ||60||

राम-राम भज कर श्री राम
करिये नित्य ही उत्तम काम |
जितने कर्त्तव्य कर्म कलाप
करिये राम-राम कर जाप ||61||

करिये गमनागम के काल
राम-जाप जो कर्ता निहाल |
सोते जागते सब दिन याम
जपिये राम-राम अभिराम ||62||

जाप्ते राम-नाम महा माला
लगता नरक-द्वार पै टाला |
जाप्ते राम-राम जप पाठ
जलते कर्म बंध यथा काठ ||63||

तान जब राम-नाम की तूती
भांडा-भरा अभाग्य भया फूटे |
मनका है राम-नाम का ऐसा
चिंता-मणि पारस-मणि जैसा ||64||

राम-नाम सुधा-रस सागर
राम-नाम ज्ञान गुण-अगर |
राम-नाम श्री राम-महाराज
भाव-सिंधु में है अतुल-जहाज ||65||

राम-नाम सब तीर्थ-स्थान
राम-राम जप परम-स्नान |
धो कर पाप-ताप सब धुल
कर दे भया-भ्रम को उन्मूल ||66||

राम जाप रवि-तेज सामान
महा-मोह-ताम हरे अज्ञान |
राम जाप दे आनंद महान
मिले उसे जिसे दे भगवान् ||67||

राम-नाम को सिमरिये
राम-राम एक तार |
परम-पाठ पावन-परम
पतित अधम दे तार ||68||

माँगूँ मैं राम-कृपा दिन रात
राम-कृपा हरे सब उत्पात |
राम-कृपा लेवे अंट सँभाल
राम-प्रभु है जन प्रतिपाल ||69||

राम-कृपा है उच्तर-योग
राम-कृपा है शुभ संयोग |
राम-कृपा सब साधन-मर्म
राम-कृपा संयम सत्य धर्म ||70||

राम-नाम को मन में बसाना
सुपथ राम-कृपा का है पाना |
मन में राम-धुन जब फिर
राम-कृपा तब ही अवतार ||71||

रहूँ मैं नाम में हो कर लीं
जैसे जल में हो मीन अड़ीं |
राम-कृपा भरपूर मैं पाऊँ
परम प्रभु को भीतर लाऊँ ||72||

भक्ति-भाव से भक्त सुजान
भजते राम-कृपा का निधान |
राम-कृपा उस जान में आवे
जिस में आप ही राम बसावे ||73||

कृपा प्रसाद है राम की देनी
काल-व्याल जंजाल हर लेनी |
कृपा-प्रसाद सुधा-सुख-स्वाद
राम-नाम दे रहित विवाद ||74||

प्रभु-पसाद शिव-शान्ति-दाता
ब्रह्म-धाम में आप पहुँचाता |
प्रभु-प्रसाद पावे वह प्राणी
राम-राम जापे अमृत-वाणी ||75||

औषध राम-नाम की खाईये
मृत्यु जन्म के रोग मिटाइये |
राम-नाम अमृत रस-पान
देता अमल अचल निर्वाण ||76||

राम-राम धुन गूँज से
भाव-भया जाते भाग |
राम-नाम धुन ध्यान से
सब शुभ जाते जाग ||77||

माँगूँ मैं राम-नाम महादान
करता निर्धन का कल्याण |
देव-द्वार पर जनम का भूखा
भक्ति प्रेम अनुराग से रूखा ||78||

पर हूँ तेरा-यह लिए टेर
चरण पारधे की राखियो मेर |
अपना आप विरद-विचार
दीजिये भगवन! नाम प्यार ||79||

राम-नाम ने वे भी तारे
जो थे अधर्मी-अधम हत्यारे |
कपटी-कुटिल-कुकर्मी अनेक
तर गए राम-नाम ले एक ||80||

तर गए धृति-धारणा हीं
धर्म-कर्म में जन अति दीन |
राम-राम श्री राम-जप जाप
हुए अतुल-विमल-अपाप ||81||

राम-नाम मन मुख में बोले
राम-नाम भीतर पट खोले |
राम-नाम से कमल-विकास
होवें सब साधन सुख-रास ||82||

राम-नाम घट भीतर बसे
सांस-साँस नस-नस से रसे |
सपने में भी न बिसरे नाम
राम-राम श्री राम-राम-राम ||83||

राम-नाम के मेल से
साध जाते सब-काम |
देव-देव देवी यादा
दान महा-सुख-धाम ||84||

अहो मैं राम-नाम धन पाया
कान में राम-नाम जब आया |
मुख से राम-नाम जब गाया
मन से राम-नाम जब ध्याया ||85||

पा कर राम-नाम धन-राशि
घोर-अविद्या विपद विनाशी |
बर्धा जब राम प्रेम का पूर
संकट-संशय हो गए दूर ||86||

राम-नाम जो जापे एक बेर
उस के भीतर कोष-कुबेर |
दीं-दुखिया-दरिद्र-कंगाल
राम-राम जप होव निहाल ||87||

हृदय राम-नाम से भरिये
संचय राम-नाम दान करिए |
घाट में नाम मूर्ती धरिये
पूजा अंतर्मुख हो करिये ||88||

आँखें मूँद के सुनिये सितार
राम-राम सुमधुर झनकार |
उस में मन का मेल मिलाओ
राम-राम सुर में ही समाओ ||89||

जपूँ मैं राम-राम प्रभु राम
ध्याऊँ मैं राम-राम हरे राम |
सिमरूँ मैं राम-राम प्रभु राम
गाऊं मैं राम-राम श्री राम ||90||

अमृतवाणी का नित्य गाना
राम-राम मन बीच रमाणा |
देता संकट-विपद निवार
करता शुभ श्री मंगलाचार ||91||

राम-नाम जप पाठ से
हो अमृत संचार |
राम-धाम में प्रीति हो
सुगुण-गैन का विस्तार ||92||

तारक मंत्र राम है
जिस का सुफल अपार |
इस मंत्र के जाप से
निश्चय बने निस्तार ||93||

बोलो राम बोलो राम,
बोलो राम राम राम ,
बोलो राम बोलो राम,
बोलो राम राम राम ||

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