न यह समझो कि हिन्दुस्तान की लीरिक्स | Na Yah Samjho Ki Hindustan Ki Lyrics
न यह समझो कि हिन्दुस्तान की हिन्दी लीरिक्स | Na Yah Samjho Ki Hindustan Ki Lyrics In Hindi
न यह समझो कि हिन्दुस्तान की तलवार सोई है।
जिसे सुनकर दहलती थी कभी छाती सिकन्दर की
जिसे सुन करके ‘कर’ से छूटती थी तेग़ बाबर की
जिसे सुन शत्रु की फौजें बिखरती थीं सिहरती थीं
विसर्जन की शरण ले डूबती नावें उभरती थीं
हुई नीली जिसकी चोट से आकाश की छाती
न यह समझो कि अब रण बांकुरी हुंकार सोई है।।
फिरंगी से ज़रा पूछो कि हिन्दुस्तान कैसा है
कि हिन्दुस्तानियों के रोष का तूफान कैसा है
जरा पूछो भयंकर फांसियों के लाल तख्तों से
बसा है नाग बांबी में मगर ओ छेड़ने वालों
न यह समझो कि जीवित नाग की फुंकार सोई है।।
न सीमा का हमारे देश ने विस्तार चाहा है
किसी के स्वर्ण पर हमने नहीं अधिकार चाहा है
मगर यह बात कहने में चूके हैं न चूकेंगे
लहू देंगे मगर इस देश की मिटटी नहीं देंगे
किसी लोलुप नजर ने यदि हमारी मुक्ति को देखा
उठेगी तब-प्रलय की आग जिस पर क्षार सोई है।।
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