जाग उठा है आज देश का लीरिक्स | Jag Utha Hai Aaj Desh Ka Lyrics

जाग उठा है आज देश का हिन्दी लीरिक्स | Jag Utha Hai Aaj Desh Ka Lyrics In Hindi




जाग उठा है आज देश का वह सोया अभिमान। 
प्राची की चंचल किरणों पर आया स्वर्ण विहान।। 

स्वर्ण प्रभात खिला घर-घर में जागे सोये वीर 
युद्धस्थल में सज्जित होकर बढ़े आज रणधीर 
आज पुनः स्वीकार किया है असुरों का आह्वान।। जाग उठा… 

सहकर अत्याचार युगों से स्वाभिमान फिर जागा 
दूर हुआ अज्ञान पार्थ का धनुष-बाण फिर  जागा  
पांचजन्य ने आज सुनाया संस्कृति का जयगान।। जाग उठा… 

जाग उठी है वानर-सेना जाग उठा वनवासी 
चला उद्धि को आज बाँधने ईश्वर का विश्वासी 
दानव की लंका में फिर  से होता है अभियान।। जाग उठा… 

खुला शम्भु का नेत्र आज फिर  वह प्रलयंकर जागा 
तांडव की वह लपटें जागी वह शिवशंकर जागा 
ताल-ताल पर होता जाता पापों का अवसान।। जाग उठा… 

ऊपर हिम से ढकी खड़ी हैं वे पर्वत मालाएँ 
सुलग रही हैं भीतर-भीतर प्रलयंकर ज्वालाएँ 
उन लपटों में दिख रहा है भारत का उत्थान।। जाग उठा…


Jag Utha Hai Aaj Desh Ka Lyrics



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