चल पड़े पैर जिस ओर पथिक लीरिक्स | Chal Pade Pair Jis Aor Pathik Lyrics

चल पड़े पैर जिस ओर पथिक हिन्दी लीरिक्स | Chal Pade Pair Jis Aor Pathik Lyrics In Hindi

चल पड़े पैर जिस ओर पथिक, उस पथ से फिर  डरना कैसा  
यह रुक-रुक कर बढ़ना कैसा ।

हो कर चलने को उद्यम तुम, ना तोड़ सके बंधन घर के
सपने सुख वैभव के राही, ना छोड़ सके अपने उर के । 
जब शोलों पर ही चलना है पग  फूँक- फूँक  रखना कैसा ।

पहले ही तुम पहचान चुके,  यह पथ तो काँटो वाला है। 
पग-पग पर पड़ी शिलाएँ हैं, कंकड़ मय काँटो वाला है। 
दुर्गम पथ अँधियारा छाया फिर मखमल का सपना कैसा ।
होता है प्रेम फकीरी से, इस पथ पर चलने वालों को 
पथ पर बिछ जाना पड़ता है, पथ पर बढ़ने वालों को 
यह राह भिखारी बनने की सुख वैभव का सपना कैसा ।

इस पथ पर बढ़ने वालों को, बढ़ना ही है केवल आता 
आती जो पग में बाधायें, उनसे बस लड़ना ही आता। 
तुम भी जब चलते उस पथ पर, फिर रुकना और झुकना कैसा।


Chal Pade Pair Jis Aor Pathik Lyrics
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