सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी लिरिक्स | Sun Meri Devi Parvat Vasini Lyrics
Sun Meri Devi Parvat Vasini Lyrics In Hindi
माता श्री विन्ध्येश्वरी देवी का धाम विंध्याचल धाम एक सिद्ध शक्तिपीठ है जोकि उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर नामक जिले में है| शास्त्रों एवं विद्वानों के अनुसार ऐसा माना जाता है की यहां विंधेश्वरी माता जी पूरे शरीर के साथ निवास करती है| मां विंध्यवासिनी के इस धाम की विशेषता यह है कि यह पूरे विश्व का ऐसा पहला मंदिर है जहां पर माता तीनो गुणों- सतोगुण, रजोगुण,तमोगुण के साथ महाकाली, महालक्ष्मी और अष्टभुजी माता के रूप में एक ही स्वरूप में विराजमान है| विंध्याचल माता ही हिंगलाज माता के नाम से भी जानी जाती है| इसकी पूजा आरती सुन मेरी देवी पर्वतवासनी से माता प्रसन्न होकर अपने भक्तो की सम्पूर्ण मनोकामनाएं शीघ ही पूरी कर अपने भक्तो पर कृपा करती है|
Aarti
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी,कोई तेरा पार ना पाया माँ,
पान सुपारी ध्वजा नारियल,
ले तेरी भेंट चढ़ायो माँ ||
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी,
कोई तेरा पार ना पाया माँ,
सुवा चोली तेरी अंग विराजे,
केसर तिलक लगाया ||
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी,
कोई तेरा पार ना पाया माँ,
नंगे पग मां अकबर आया,
सोने का छत्र चडाया ||
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी,
कोई तेरा पार ना पाया माँ,
ऊंचे पर्वत बनयो देवालाया,
निचे शहर बसाया ||
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी,
कोई तेरा पार ना पाया माँ,
सत्युग, द्वापर, त्रेता मध्ये,
कालियुग राज सवाया ||
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी,
कोई तेरा पार ना पाया माँ,
धूप दीप नैवैध्य आर्ती,
मोहन भोग लगाया ||
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी,
कोई तेरा पार ना पाया माँ,
ध्यानू भगत मैया तेरे गुन गाया,
मनवंचित फल पाया ||
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी,
कोई तेरा पार ना पाया माँ ||
इति श्री विंध्यवासिनी आरती|