शीतला शीतला कहिके आरती लिरिक्स | Shitla Shitla Kahike Lyrics
Shitla Shitla Kahike Aarti Lyrics In Hindi
शीतला शीतला कहिके,तोलामनावंव वो,
आगे असाढ़ के महिना,
चोला जुड़ावंव वो,
कारज मोरो सादे,
तोर भरोसा हावंव वो ||
आगे असाढ़ के महिना,
चोला जुड़ावंव वो,
जब-जब आंखी मुदौं,
दरस तोर पाथौवो,
हिरदे मा भगति उमचथे,
रहि-रहि सोरियाथैं वो ||
गुनत रथौं तोरे गुन ला,
अतकेच सहंराधं वो,
बुड़े रहीं तोरे भजन मा,
कहिके गोहराथें वो,
दसो अंगरी बिनती हे,
तोही ला सुनावंव वो,
आगे असाढ़ के महिना,
चोला जुड़ावंव वो ||
महिना असाढ़ मा कहिथे,
शीतला ला मनाले वो,
पबरित धरम गंगा मा,
बुड़की लगाले वो,
भागमानी काया मिले हे,
यहु ला फरियाले,
सातो पुरखा के भाग ला,
उंचहा बनाले वो,
परन करे हंव ढाई ||
तोर अंचरा पाव्ंव को,
आगे असाढ़ के महिना,
चोला जुड़ावंव वो,
दिन बादर देखके सुध्घर,
जोखवा ला मढ़ायेंव वो,
शीतला जुड़वास करे के,
उद़िम ला रचायंव वो,
गाँव के सगरो देवता ला,
नेवता भेजायेंव वो,
पुरखा के चलाये चलन मा,
आस ला लमायेंव वो ||
इन आवय कोनो अलहन,
चाउंर बंधावंव को,
आगे असाढ़ के महिना,
चोला जुड़ावंव वो,
चौखडिया चउ पुराके,
पिदुलीरखायें वो ||
आवौ-आवौ बइठव मइया,
आसन लगायेंव वो,
कांसा के कलसा सजाके,
दियना जलायंव वो,
गंगाजल अचमन करके,
बरत ला उचायंव वो,
तीन रंग के धजा हे,
लहर लहरावंव वो,
आगे असाढ़ के महिना,
चोला जुड़ावंव वो ||
कांचा-कोंवर हरदी पीसके,
तीली तेल मिलायेंव वो,
तन भर तब शीतला ढाई के,
मन भर चुपरायेंव वो,
नवा बस्तर पहिराके,
अंगा-अंग ला सजायेंव वो,
पूजा के नरियर भेला,
सरथाले चढ़ायेंव वो,
लीमडारा के सुध्यर ||
में चंवर डोलायेंव वो,
आगे असाढ़ के महिना,
चोला जुड़ावंव वो,
कलिजुगिहा जीव के परन हे,
सेवा बर दाई के,
कांचा पाका जुड़-जुड़ जेवन,
भोग महामाई के,
पोरसाये हावय सथरा,
लीमहिन बिमलाई के,
पावौ परसादी जननी,
मया बढ़हाई के,
भूल चूक छमा करबे ||
घेरी-बेरी गोहरावंव वो,
आगे असाढ़ के महिना,
चोला जुड़ावंव वो,
तोरे किरपा ले जगत के,
चलथे जिनगानी वो,
काया ला शीतल करदे,
बर्सादे पानी वो,
अनहर उपजही तभे वो,
होही ज़ किसानी वो ||
पेट के भूख हा मिटही,
पाही सुख परानी वो,
उड़ान- गौतम अरज लगाये,
इंहिचे थिरियावंव वो,
आगे असाढ़ के महिना,
चोला जुड़ावंव वो ||