श्री संतोषी माता चालीसा पाठ लिरिक्स | Shree Santoshi Chalisa Lyrics
Santoshi Chalisa Lyrics In Hindi
श्री संतोषी माता चालीसा पाठ शुक्रवार के दिन किया जाता है| विवाहित महिलाओं को मां संतोषी की कृपा पाने के लिए शुक्रवार के दिन मां संतोषी चालीसा का पाठ करना चाहिए| इससे उनके जीवन में खुशियों आगमन के साथ-साथ माँ संतोषी उनकी मनवांक्षित आशीर्वाद प्रदान करती है|
रोज़ाना भी मां संतोषी चालीसा का पाठ किया जा सकता है|
चालीसा
दोहा
बन्दौं सन्तोषी चरण रिद्धि-सिद्धि दातार,
ध्यान धरत ही होत नर दुःख सागर से पार |
भक्तन को सन्तोष दे सन्तोषी तव नाम,
कृपा करहु जगदम्ब अब आया तेरे धाम ||
चौपाई
जय सन्तोषी मात अनूपम,
शान्ति दायिनी रूप मनोरम ||१||
सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा,
वेश मनोहर ललित अनुपा ||२||
श्वेताम्बर रूप मनहारी,
माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी ||३||
दिव्य स्वरूपा आयत लोचन,
दर्शन से हो संकट मोचन ||४||
जय गणेश की सुता भवानी,
रिद्धि- सिद्धि की पुत्री ज्ञानी ||५||
अगम अगोचर तुम्हरी माया,
सब पर करो कृपा की छाया ||६||
नाम अनेक तुम्हारे माता,
अखिल विश्व है तुमको ध्याता ||7||
तुमने रूप अनेकों धारे,
को कहि सके चरित्र तुम्हारे ||8||
धाम अनेक कहाँ तक कहिये,
सुमिरन तब करके सुख लहिये ||9||
विन्ध्याचल में विन्ध्यवासिनी,
कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी ||10||
कलकत्ते में तू ही काली,
दुष्ट नाशिनी महाकराली ||11||
सम्बल पुर बहुचरा कहाती,
भक्तजनों का दुःख मिटाती ||12||
ज्वाला जी में ज्वाला देवी,
पूजत नित्य भक्त जन सेवी ||13||
नगर बम्बई की महारानी,
महा लक्ष्मी तुम कल्याणी ||14||
मदुरा में मीनाक्षी तुम हो,
सुख दुख सबकी साक्षी तुम हो ||15||
राजनगर में तुम जगदम्बे,
बनी भद्रकाली तुम अम्बे ||16||
पावागढ़ में दुर्गा माता,
अखिल विश्व तेरा यश गाता ||17||
काशी पुराधीश्वरी माता,
अन्नपूर्णा नाम सुहाता ||18||
सर्वानन्द करो कल्याणी,
तुम्हीं शारदा अमृत वाणी ||19||
तुम्हरी महिमा जल में थल में,
दुःख दारिद्र सब मेटो पल में ||20||
जेते ऋषि और मुनीशा,
नारद देव और देवेशा ||21||
इस जगती के नर और नारी,
ध्यान धरत हैं मात तुम्हारी ||22||
जापर कृपा तुम्हारी होती,
वह पाता भक्ति का मोती ||23||
दुःख दारिद्र संकट मिट जाता,
ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता ||24||
जो जन तुम्हरी महिमा गावै,
ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै ||25||
जो मन राखे शुद्ध भावना,
ताकी पूरण करो कामना ||26||
कुमति निवारि सुमति की दात्री,
जयति जयति माता जगधात्री ||27||
शुक्रवार का दिवस सुहावन,
जो व्रत करे तुम्हारा पावन ||28||
गुड़ छोले का भोग लगावै,
कथा तुम्हारी सुने सुनावै ||29||
विधिवत पूजा करे तुम्हारी,
फिर प्रसाद पावे शुभकारी ||30||
शक्ति-सामरथ हो जो धनको,
दान-दक्षिणा दे विप्रन को ||31||
वे जगती के नर औ नारी,
मनवांछित फल पावें भारी ||32||
जो जन शरण तुम्हारी जावे,
सो निश्चय भव से तर जावे ||33||
तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावे,
निश्चय मनवांछित वर पावै ||34||
सधवा पूजा करे तुम्हारी,
अमर सुहागिन हो वह नारी ||35||
विधवा धर के ध्यान तुम्हारा,
भवसागर से उतरे पारा ||36||
जयति जयति जय संकट हरणी,
विघ्न विनाशन मंगल करनी ||37||
हम पर संकट है अति भारी,
वेगि खबर लो मात हमारी ||38||
निशिदिन ध्यान तुम्हारो ध्याता,
देह भक्ति वर हम को माता ||39||
यह चालीसा जो नित गावे,
सो भवसागर से तर जावे ||40||
दोहा
संतोषी माँ के सदा बंदहूँ पग निश वास,
पूर्ण मनोरथ हो सकल मात हरौ भव त्रास ||
॥ इति श्री संतोषी माता चालीसा ॥