ओम जय कलाधारी हरे लिरिक्स | Om Jai Kaladhari Hare Lyrics

Baba Balak Nath Aarti Lyrics In Hindi

सिद्ध बाबा श्री बालक नाथ जी  की कहानी बाबा बालकनाथ अमर कथा में पढ़ी जा सकती है, ऐसी मान्यता है, कि बाबाजी का जन्म सभी युगों में हुआ जैसे कि सत्य युग,त्रेता युग,द्वापर युग और वर्तमान में कल युग और हर एक युग में उनको अलग-अलग नाम से जाना गया जैसे सत युग में "स्कन्द", त्रेता युग में " कौल" और द्वापर युग में "महाकौल" के नाम से जाने गये। अपने हर अवतार में उन्होंने गरीबों एवं निस्सहायों की सहायता करके उनके दुख दर्द और तकलीफों का नाश किया। इनकी आरती ओम जय कलाधारी हरे लिरिक्स करने से असीम सुख एवम संवृद्धि की प्राप्ति होती है। बाबा श्री बालक नाथ जी कलयुग में हर दुखी श्रद्धालु का दुःख दूर करते है और बालकनाथ जी महाराज का बहुत बड़ा चमत्कार है और आपसे मेरा कहना है की जीवन में किसी प्रकार की समस्या, कष्ट हो तो एक बार बाबा श्री बालकनाथजी की स्तुति जरूर करे।


Om Jai Kaladhari Hare Lyrics

बाबा श्री बालक नाथ आरती लिरिक्स

ॐ जय कलाधारी हरे,
स्वामी जय पौणाहारी हरे,
भक्त जनों की नैया,
दस जनों की नैया,
भव से पार करे,
ॐ जय कलाधारी हरे॥

बालक उमर सुहानी,
नाम बालक नाथा,
अमर हुए शंकर से,
सुन के अमर गाथा।
ॐ जय कलाधारी हरे॥

शीश पे बाल सुनैहरी,
गले रुद्राक्षी माला,
हाथ में झोली चिमटा,
आसन मृगशाला।
ॐ जय कलाधारी हरे॥

सुंदर सेली सिंगी,
वैरागन सोहे,
गऊ पालक रखवालक,
भगतन मन मोहे।
ॐ जय कलाधारी हरे॥

अंग भभूत रमाई,
मूर्ति प्रभु रंगी,
भय भज्जन दुःख नाशक,
भरथरी के संगी।
ॐ जय कलाधारी हरे॥

रोट चढ़त रविवार को,
फल, फूल मिश्री मेवा,
धुप दीप कुदनुं से,
आनंद सिद्ध देवा।
ॐ जय कलाधारी हरे॥

भक्तन हित अवतार लियो,
प्रभु देख के कल्लू काला,
दुष्ट दमन शत्रुहन,
सबके प्रतिपाला।
ॐ जय कलाधारी हरे॥

श्री बालक नाथ जी की आरती,
जो कोई नित गावे,
कहते है सेवक तेरे,
मन वाच्छित फल पावे।
ॐ जय कलाधारी हरे॥

ॐ जय कलाधारी हरे,
स्वामी जय पौणाहारी हरे,
भक्त जनों की नैया,
भव से पार करे।
ॐ जय कलाधारी हरे॥

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